GST 2.0 का असर: खरीदार रुके, बेचने वाले परेशान – सस्ते दाम की उम्मीद में थमी मार्केट की रफ्तार!

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) में बड़े बदलाव का ब्लूप्रिंट पेश किया है। GST 2.0 के तहत टैक्स स्ट्रक्चर को आसान बनाने के लिए दो मुख्य स्लैब – 5% और 18% रखने की योजना है, जबकि तंबाकू और शराब जैसे “सिन गुड्स” पर नया 40% टैक्स लगाया जा सकता है।

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पीएम मोदी का ऐलान और बाज़ार की उलझन

15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने GST 2.0 का ऐलान किया। उनका वादा है कि नए सिस्टम से टैक्स दरें कम होंगी और नियम आसान होंगे, जिससे आम घरों का खर्च घटेगा। लेकिन जैसे ही ये घोषणा हुई, बाज़ार में पुरानी दिक्कत फिर सामने आ गई – लोग सोच रहे हैं कि अगर कल सामान सस्ता होगा तो आज क्यों खरीदें?

इसी वजह से बड़ी खरीदारी जैसे कार, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स की डिमांड अचानक कम हो गई है। चार्टर्ड अकाउंटेंट और वित्तीय विशेषज्ञ दीपक एस. बताते हैं,

“ग्राहकों को अनिश्चितता पसंद नहीं होती। जब उन्हें लगता है कि दाम घट सकते हैं, तो वे गैर-ज़रूरी खरीदारी रोक देते हैं। यह छोटा कदम दिखता है, लेकिन करोड़ों परिवार ऐसा करें तो अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ जाती है।”

2017 जैसी तस्वीर फिर से

2017 में GST लागू होने से पहले जैसी ‘वेट-एंड-वॉच’ स्थिति थी, वैसा ही माहौल एक बार फिर है। कार शोरूम और इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोर में फुटफॉल घट गए हैं। लोग इंतज़ार कर रहे हैं कि नए टैक्स के बाद उन्हें कितना फायदा मिलेगा। दीपक एस. कहते हैं,

“अगर 1.2 लाख का फोन अगले महीने 10% सस्ता हो सकता है, तो लोग क्यों अभी खरीदें?”

रियल एस्टेट और ट्रैवल सेक्टर भी प्रभावित

घर खरीदने और ट्रैवल बुकिंग जैसे बड़े फैसले भी टल रहे हैं। डेवलपर्स और ट्रैवल एजेंट्स अपने ऑफर दोबारा कैलकुलेट कर रहे हैं क्योंकि ग्राहक अब हर चीज़ का गणित लगाने लगे हैं।

स्टॉक मार्केट और बिज़नेस पर असर

ऑटोमोबाइल, FMCG और कंज़्यूमर ड्यूरेबल सेक्टर की कंपनियों की बिक्री पर सीधा असर पड़ रहा है। बैंकों और NBFCs ने भी उपभोक्ता क्रेडिट में अस्थायी सुस्ती दर्ज की है। inventory न फंसे, इसलिए कई कंपनियां लिमिटेड-पीरियड डिस्काउंट निकाल रही हैं।

आगे क्या?

फिलहाल बाज़ार में सन्नाटा है, लेकिन उम्मीद है कि GST 2.0 लागू होने के बाद हालात पलट जाएंगे। दीपक एस. कहते हैं,

“यह ऐसा है जैसे सबने सांस रोक रखी है। जैसे ही नई दरें साफ़ होंगी और लागू होंगी, रुकी हुई खरीदारी जोरदार तरीके से वापस आ सकती है।”

आने वाले महीनों में यही रिबाउंड भारत की खपत का नक्शा बदल सकता है।

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