भारतीय क्रिकेट के भरोसेमंद बल्लेबाज Cheteshwar Pujara ने रविवार को सभी प्रारूपों से संन्यास लेकर अपने 15 साल लंबे करियर को अलविदा कह दिया। 37 साल के Pujara ने साफ कहा है कि अगर भविष्य में मौका मिला तो वे बैटिंग कोच की भूमिका निभाने से पीछे नहीं हटेंगे।
Pujara ने संन्यास की घोषणा के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मैंने अभी तक इसके बारे में सोचा नहीं है। मैंने सिर्फ क्रिकेट से संन्यास लिया है, तो आने वाले समय में मैं सभी अवसरों के लिए तैयार रहूंगा।”
टेस्ट क्रिकेट के धुरंधर
Pujara ने अक्टूबर 2010 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया और अगले 15 साल तक भारतीय टेस्ट टीम की रीढ़ बने रहे। इस दौरान उन्होंने 103 टेस्ट मैचों में 7,195 रन बनाए, जिसमें 19 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं। उनका औसत 43.60 रहा। उनकी ठोस तकनीक और मजबूत डिफेंस के कारण उन्हें भारतीय टेस्ट टीम का “वॉल” कहा जाने लगा।
ऑस्ट्रेलिया में सुनहरी यादें
Pujara की सबसे बड़ी उपलब्धियों में 2018-19 की Border-Gavaskar Trophy शामिल है। इस सीरीज में उन्होंने 1258 गेंदों में 521 रन ठोककर 74.42 की औसत से भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज जिताने में अहम भूमिका निभाई। खास बात यह रही कि उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई धरती पर तब शतक जड़ा जब टीम इंडिया शुरुआती मैच में 19/3 की मुश्किल स्थिति में थी।
कमेंट्री से नई पारी की शुरुआत
पिछले दो साल से टेस्ट टीम से बाहर चल रहे Pujara ने घरेलू क्रिकेट में खेल जारी रखा और हाल ही में कमेंट्री में भी हाथ आजमाया। वह England और India के बीच हुई Anderson-Tendulkar Trophy में कमेंट्री बॉक्स में नजर आए और अपनी गहरी समझ से फैन्स को प्रभावित किया।
संन्यास के पीछे की वजह
संन्यास के फैसले पर Pujara ने कहा, “ये प्लान एक हफ्ते से चल रहा था। मैं पिछले कुछ सालों से टीम इंडिया का हिस्सा नहीं था, और मुझे लगा कि अब सही समय है क्योंकि घरेलू क्रिकेट में युवा खिलाड़ियों को मौका मिल रहा है। इसलिए मैंने ये निर्णय लिया।”
उन्होंने आगे कहा, “जब आप इतना बड़ा फैसला लेते हैं तो परिवार और अपने सीनियर खिलाड़ियों से बात करना जरूरी होता है। मैंने सबसे चर्चा की और फिर सोचा कि अब आगे बढ़ने का समय आ गया है।”